BA 1st Year home science B.A First Year Notes in hindi

 D.D.U GORAKHPUR UNIVERSITY AND SIDDHARTH UNIVERSITY NOTES

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BA 1st Year home science B.A First Year Notes in hindi

गृहविज्ञान के निधारक तत्व मूल्य, लक्ष्य, स्तर

गृह प्रबन्ध दो शब्दों से मिलकर बना है गृह तथा गृह का अर्थ होता है घर (Home) तथा प्रबन्ध का अर्थ व्यवस्था (Managament) अर्थात् गृह प्रबन्ध का अर्थ होता है घर का व्यवस्था करना ग्रास गृह प्रबन्ध की परिभाषा एवं कैन्डल के अनुसार
“गृह व्यवस्था एक मानसिक प्रक्रिया है जिसमें पारिवारिक साधनों का उपयोग करके आयोजन, नियंत्रण एवं मूल्यांकन के द्वारा पारिवारिक लक्ष्यों की प्राप्ति की जाती है।” निकेल एवं डार्सी के अनुसार
“गृह प्रबन्ध आयोजन, संगठन नियन्त्रण एवं मूल्यांकन की वह क्रिया है जिसका उददेश्य पारिवारिक साधनों के प्रयोग से पारिवारिक लक्ष्यों की पूर्ति करना है।”

उत्प्रेरक कारक है –

 स्तर मूल्य लक्ष्य एवं स्तर इन तीनों में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है तथा ये अन्तर्सम्बन्धित होते है इसे निम्न त्रिकोण द्वारा दर्शाया गया है। मूल्य त्रिकोण का केन्द्र बिन्दु है। यह लक्ष्य एवं स्तर से अधिक महत्वपूर्ण है। लक्ष्य एवं स्तर मूल्य के सहायक होते. है। लक्ष्य तथा स्तर मूल्यों पर अपना प्रभाव डालते है।
दैनिक जीवन में हम सभी अक्सर साधारण बोलचाल की भाषा में मूल्य की बात करते हैं। इसे समझते भी है परन्तु इसे स्पष्ट करना एवं परिभाषित करना बड़ा ही मुश्किल कार्य है। मूल्य अस्पष्ट, अनिश्चित एवं आत्मगत होता है। मूल्य की परिभाषा
निकेल एवं डासी के अनुसार “मूल्य मानवीय व्यवहार को प्रेरणा प्रदान करने वाला कारक है। यही न्याय, विवेचन तथा विश्लेषण करने हेतु आधार प्रदान करता है तथा इनमें यह गुण होता है जिससे कि पत्र विभिन्न विकल्पों के मध्य बुद्धिमत्तापूर्वक चयन को सम्भव बनाते है।

मूल्य की निम्निलिखित विशेषतायें है

1. मूल्य व्यक्तिगत होते हैं। इसीलिये ये मूल्य ग्रहण करने वाले व्यक्ति के लिये हमेशा ही महत्वपूर्ण होते है। मूल्य स्थायी एवं अस्थायी दोनों प्रकार के होते है। मूल्य एच्छिक एवं संतुष्टि प्रदान करने वाले होते है। मूल्यों में स्व-निर्माण एवं विकास करने की योग्यता होती है।
मूल्य की तीव्रता प्रत्येक व्यक्ति के लिये भिन्न होती हैं।
 
यह व्यक्ति को कार्य करने की प्रेरणा देता है।
 
मूल्य व्यक्तिगत निर्माण में सहायक होते हैं।
मूल्य धनात्मक एवं ऋणात्मक दोनों ही प्रकृति के होते मूल्यों को नापा व अध्ययन किया जा सकता है। मूल्य सामान्य तथ्यों पर आधारित होते है तथा स्थान, माहौल एवं परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तन हो जाते है।
लक्ष्य पारिवारिक जीवन में सुख, आराम आनन्द संतोष एवं सफलता पाने के लिये लक्ष्यों को प्राप्त करना आवश्यक है।
 
लक्ष्यों का वर्गीकरण
 
अल्पकालीन लक्ष्य
 
मध्यअल्पलक्ष्य
 
दीर्घकालीनलक्ष्य
1. अल्पकलीन लक्ष्य :- ये लक्ष्य अधिक स्पष्ट एवं निश्चित होते है यह लक्ष्य दीर्घकालीन लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायक होते हैं। जैसे मकान बनाना, जमीन खरीदना आदि ।
2. मध्य अल्प लक्ष्य:-  ऐसे लक्ष्यों की पूर्ति स्वतः ही कुछ क्रियाओं के बाद पूर्ण हो जाती है। जैसे- बैंक में पैसा निकालने हेतु चेक काटना, बालकों के पढ़ाने हेतु किताब खरीदकर देना, नये सूट सिलवाने हेतु वस्त्र खरीदना आदि ।
 3. दीर्घकालीन लक्ष्य :- वे लक्ष्य जिनको प्राप्त करने में अधिक समय लगता है, “दीर्घकीन लक्ष्य” कहलाते है। कुछ लक्ष्यों को प्राप्त करने में महिनों एवं सालो लग जाते हैं तथा कुछ लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु मानव का सम्पूर्ण जीवनकाल भी कम नजर आता है। ये अधिक स्थायी होते है जैसे- उच्च शिक्षा प्राप्त करना आदि।

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