क्या आप जानते हैं (ओम जय शिव ओंकारा) यह केवल शिवजी की आरती नहीं है, बल्कि ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों की आरती है | शिव आरती का अर्थ और महत्व, Shiv Ji Ki Aarti

Shiv Ji Ki Aarti Lyrics In Hind
Om Jai Shiv Omkara hindi aarti
  क्या आप जानते हैं (ओम जय शिव ओंकारा) यह केवल शिवजी की आरती नहीं है, बल्कि ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों की आरती है आइये जानते हैं कैसे? 
पंचानन का अर्थ
ओम जय शिव ओंकारा का अर्थ
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Shiv Ji ki Aarti
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Shiv Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi

भगवान शिव आरती का अर्थ और महत्व

Shiv Ji ki Aarti “ॐ जय शिव ओंकारा” यह वह प्रसिद्ध आरती है जो देश भर में शिव-भक्त नियमित गाते हैं.. लेकिन, बहुत कम लोग का ही ध्यान इस तथ्य पर जाता है कि, इस आरती के पदों में ब्रम्हा-विष्णु-महेश तीनो की स्तुति है.. “एकानन” (एकमुखी, विष्णु),  “चतुरानन” (चतुर्मुखी, ब्रम्हा) और “पंचानन” (पंचमुखी, शिव) “राजे” “हंसासन” (ब्रम्हा) “गरुड़ासन” (विष्णु ) “वृषवाहन” (शिव) “साजे” “दो भुज” (विष्णु), “चार चतुर्भुज” (ब्रम्हा), “दसभुज” (शिव) “अति सोहे” “अक्षमाला” (रुद्राक्ष माला, ब्रम्हाजी ), “वनमाला” (विष्णु ) “रुण्डमाला” (शिव) “धारी” “चंदन” (ब्रम्हा ), “मृगमद” (कस्तूरी विष्णु ), “चंदा” (शिव) “भाले शुभकारी” (मस्तक पर शोभा पाते हैं) “श्वेताम्बर” (सफेदवस्त्र, ब्रम्हा) “पीताम्बर” (पीले वस्त्र, विष्णु) “बाघाम्बर” (बाघ चर्म ,शिव) “अंगे” “ब्रम्हादिक” (ब्राह्मण, ब्रह्मा) “सनकादिक” (सनक आदि, विष्णु ) “प्रेतादिक” (शिव ) “संगे” (साथ रहते हैं).. “कर के मध्य कमंडल” (ब्रम्हा), “चक्र” (विष्णु), “त्रिशूल” (शिव) “धर्ता” “जगकर्ता” (ब्रम्हा) “जगहर्ता” (शिव ) “जग पालनकर्ता” (विष्णु) ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका* (अविवेकी लोग इन तीनो को अलग अलग जानते हैं।) प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका (सृष्टि के निर्माण के मूल ऊँकार नाद में ये तीनो एक रूप रहते है,  आगे सृष्टि-निर्माण, सृष्टि-पालन और संहार हेतु त्रिदेव का रूप लेते हैं) संभवतः इसी त्रि-देव रुप के लिए वेदों में ओंकार नाद को ओ३म् के रुप में प्रकट किया गया है ।

Shiv Ji Ki Aarti Lyrics Hindi | Om Jai Shiv Omkara hindi aarti | Shiv Aarti hindi mein

Shiv Ji Ki Aarti Lyrics In Hindi भोलेनाथ की आरती की बात ही कुछ निराली हैं क्योंकि शिव जी की भक्ति करके जो आनंद हमें प्राप्त होता है, उतना ही आनंद भगवान शिव भी पाते हैं, भोले Shiv Ji Ki Aarti की बात ही कुछ ऐसी हैं, शिव जी की आरती करके उन्हें जल्दी प्रसन्न भी किया जा सकता हैं, भगवान शिव के आरती की रचना शिवानन्द जी के द्वारा की गयी थी। शिव शंकर को  त्रिलोकीनाथ, भोलेनाथ, नीलकंठ, महादेव आदि कई नामों से भी पुकारा जाता हैं। मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव शंकर की पूजा आराधना करने से गृहस्थ जीवन में अनुकूलता की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है भोलेनाथ जी बहुत जल्द अपने भक्तों पर प्रसन्न होते हैं, और सच्चे मन से की गई भक्ति पर उनके कष्टों को दूर करते हैं। शिव जी की पूजा में उनकी आरती से उनकी महिमा गाई जाती है, सोमवार को, सावन में, महाशिवरात्रि पर आप Shiv Ji पूजा के समापन से पहले ये Om Jai Shiv Omkara hindi aarti जरूर करें। भगवान शिव की आरती – Shiv Aarti hindi mein जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा । ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ।। ॐ जय शिव…. एकानन चतुरानन पंचानन राजे हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ।। ॐ जय शिव…. दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे। त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ।। ॐ जय शिव…. अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी । चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ।। ॐ जय शिव…. श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे । सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ।। ॐ जय शिव…. कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता । जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ।। ॐ जय शिव…. ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका । प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ।। ॐ जय शिव…. काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ।। ॐ जय शिव…. त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे । कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ॐ जय शिव…. You May Also Like✨❤️👇

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