दोस्त यार कह देने से दोस्त यार नहीं हो जाता प्रधान जी, निभाना भी पड़ता है ‘पंचायत 2’ के टॉप 20 डायलॉग जो लोगों के दिल छु गए | Panchayat 2 Dialogue in Hindi
Panchayat 2 Dialogue in Hindi: पंचायत 2 की सिर्फ़ Story ही जबरदस्त नहीं है, बल्कि इसके सभी किरदार भी मज़ेदार हैं, पंचायत सीज़न 1 को जितना प्यार दर्शकों ने दिया, उससे ज्यादा ही प्यार Panchayat 2 को मिल रहा है, जिसमें गांव की ख़ूबसूरती, आपसी प्यार व मीठी नोंक झोंक से भरी इस web series को देखने वाले इसकी तारीफ़ करते नहीं थक रहे हैं, पंचायत 1ग्राम जहाँ फुलेरा के वासियों के जिंदगी के कुछ किस्से लेकर आया था तो दूसरे सीरीज की कहानी में ज्यादा ड्रामा तो नहीं है, लाइट कॉमेडी के साथ इस सीजन में ऐसे ऐसे dialogues हैं, जिन्हें हर गाँव के लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल करते हैं, इसमें सचिव जी (जीतेंद्र कुमार), प्रहलाद चा (फैसल मलिक), विकास (चंदन रॉय), प्रधान जी (रघुवीर यादव), मैडम जी (नीना गुप्ता) ने अपनी acting से एकदम जबरदस्त कर दिया है panchayat season 2 best Dialogue लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं, बहुत से लोग इस सीरीज को देख चुके हैं, और अपने अपने पसंदीदा डायलॉग्स शेयर कर रहे हैं, लेकिन जिन लोगों ने अब तक यह series नहीं देखी है, उन लोगों के लिए आज हम panchayat season 2 के कुछ दमदार और मज़ेदार Dialogues लेकर आए हैं, जिन्हें पढ़ने के बाद आप इस सीरीज को जरुर देखना देखना चाहेंगे। तो चलिए, अब सीधा नज़र डालते हैं Panchayat 2 best Dialogue in Hindi पर।
पंचायत 2′ के टॉप 20 डायलॉग (Panchayat 2 Dialogue in Hindi)
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Panchayat 2 Dialogue in Hindi
हम सब कहीं ना कहीं नाच ही तो रहे हैं सचिव जी।
चप्पल की चोरी हुई है, FIR दर्ज होगा, गांव के प्रधान के ऊपर।
जब तक सीट नहीं लग जाता, कहीं और जा के हग ले, कहां जा के हग ले? पंचायत के ऑफिस में हग सकता है।
अरे आप लोगों के लिए ऑफिस है, मेरे लिए तो घर ही है।
जब शादी होगा, बच्चा होगा और हम सब कहीं ना कहीं नाच ही तो रहे हैं सचिव जी।
अरे आप लोगों के लिए ऑफिस है, मेरे लिए तो घर ही है।
एक नंबर के बनराकस आदमी हैं, आप उसकी बात का ज्यादा वैल्यू मत दीजिए।
जब शादी होगा, बच्चा होगा और 20 हजार में घर चलाना पड़ेगा तब आप भी शराबी बन जाइएगा।
अभी तो खाली बाल नोचे हैं, निकल यहां से नहीं तो पूरे का पूरा बेलचट कर देंगे।
दोस्त यार कह देने से दोस्त यार नहीं हो जाता प्रधान जी, निभाना भी पड़ता है, मै तो निभा रहा हूं आपका पता नहीं।
ऐ विधायक जी.. रोड का पैसा देना है तो दीजिए, नहीं देना है तो मत दीजिए, लेकिन गाली नहीं सुनेंगे।
रोड़ के लिए भले ही फंड लगता हो विधायक जी… लेकिन अच्छा इंसान बनने के लिए फंड नहीं लगता।
नशा बढ़िया से बढ़िया आदमी को बर्बाद करके, छोड़ता है, आज के बाद कंट्रोल में पिया करेंगे।
ये जो शहीद हुए हैं राहुल पांडे इनके पिता जब बाहर निकलेंगे तो इज्जत मिलेगा, खूब मिलेगा, लेकिन कब तक बाहर रहेंगे, अंतत: तो घर में ही आना पड़ेगा न, जहां परिवार का एक सदस्य कम हो गया है, वो भी हमेशा के लिए।
देश के लिए जान देने का फीलिंग ही अलग होता है।
एक बात बताएं सर… बचपन में हम भी सोचते थे बड़ा होकर फौज में जाएंगे, लेकिन कभी अम्मा से कहने का हिम्मते नहीं हुआ, इकलौते थे ना, सिपाही रैंक में ज्यादातर लड़के तो गांव देहात के ही रहते हैं, बीस तीस हजार सैलरी में जान देने वाले और कहां मिलेंगे।