क्या आप जानते हैं पृथ्वीराज चौहान से जुड़ा इतिहास एवं पृथ्वीराज चौहान के बारे में रोचक तथ्य | prithviraj chauhan history & amazing facts in hindi

prithviraj chauhan history & amazing facts in hindi
Image credit: Outlook India

prithviraj chauhan history & amazing facts in hindi, पृथ्वीराज चौहान के बारें में रोचक तथ्य जिन्हें जानकर आपको गर्व होगा बिना आँखों के इन्होंने क्रूर और धोखेबाज मोहम्मद गौरी को मौत के घाट उतार दिया, अल्पायु में ही अपने माता पिता की मृत्यु से लेकर दिल्ली की राजगद्दी पर बैठने तक का सफर तय किया, भगवान श्री राम के पिता राजा दशरथ के पश्चात् Prithviraj Chauhan ऐसे राजा हुए जो शब्दभेदी बाण की कला जानते थे।

मात्र 12 वर्ष की आयु में दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाले सम्राट पृथ्वीराज चौहान के जीवन में कई तरह उतार चढ़ाव आये जिनमें मोहम्मद गौरी के साथ युद्ध, राजा जयचंद के साथ शत्रुता और संयोगिता के साथ प्रेम कहानी आदि शामिल हैं, वीर सम्राट पृथ्वीराज चौहान का नाम हम सभी ने बचपन से ही सुना है, तो आइए जानते है, सम्राट पृथ्वीराज चौहान से जुड़ा इतिहास एवं पृथ्वीराज चौहान के बारे में रोचक तथ्य। amazing facts in hindi, पृथ्वीराज चौहान के बारे में रोचक तथ्य, prithviraj chauhan history & amazing facts in hindi

Prithviraj Chauhan History In Hindi

पुरा नाम :          पृथ्वीराज चौहान

अन्य नाम :         राय पिथौरा

माता/पिता :       राजा सोमेश्वर चौहान/कमलादेवी

पत्नी :               संयोगिता

जन्म :               1149 ई.

राज्याभिषेक :     1169 ई.

मृत्यु :                1192 ई.

राजधानी :          दिल्ली, अजमेर

वंश :                 चौहान (राजपूत)

मुख्य युद्ध :        तराइन युद्ध।

सम्राट पृथ्वीराज चौहान से जुडा इतिहास एवं रोचक तथ्य: prithviraj chauhan history & amazing facts in hindi

  • पृथ्वीराज चौहान का पूरा नाम पृथ्वीराज चौहान ही था, पर उन्हें राय पिथौरा के नाम से भी जाना जाता था।
  • पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1166 ईसवी इनके माता-पिता के विवाह के कई सालों के बाद, काफी मन्नतो से हुआ था।
  • पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1149 ई. में हुआ था और राज्याभिषेक 1169 ई. में हुआ।
  • पृथ्वीराज चौहान की माता का नाम कमलादेवी तथा पिता का नाम राजा सोमेश्वर चौहान था।
  • वह चौहान (राजपूत) वंश के राजा थे।
  • पृथ्वीराज रासो के अनुसार पृथ्वीराज चौहान को घोड़ों और हाथी को नियंत्रित करने में बहुत कुशल थे।
  • प्रथ्वीराज चौहान की दिल्ली और अजमेर दोनों जगह उनकी राजधानी थी।
  • पृथ्वीराज चौहान जब मात्र 11 वर्ष थे तभी इनके पिता सोमेश्वर चौहान की मृत्यु 1177 ईसवी में हो गई थी।
  • प्रथ्वीराज चौहान ने मात्र 12 वर्ष कि उम्र मे बिना किसी हथियार के खुंखार जंगली शेर का जबड़ा फाड़ ड़ाला था ।
  • आपको सुनने पर विश्वास नहीं होगा किंतु यह सत्य है की, सम्राट प्रथ्वीराज चौहान कि तलवार का वजन 84 किलो का था, और वे उसे एक हाथ से ही चलाते थे।
  • सम्राट पृथ्वीराज चौहान पशु-पक्षियो के साथ बाते करने की कला जानते थे।
  • पृथ्वीराज चौहान ने तलवार के एक ही प्रहार से जंगली हाथी का सिर धड़ से अलग कर दिया था।
  • पृथ्वीराज चौहान ने 16 वर्ष की उम्र मे ही महाबली नाहर राय को युद्ध में हराकर माड़वकर पर विजय प्राप्त की थी।
  • पृथ्वीराज चौहान की तेरह पत्नियां थी, इनमे सबसे प्रसिद्ध संयोगिता है।
  • पृथ्वीराज चौहान ने अपनी सुरुवाती शिक्षा सरस्वती कंठाभरण विद्यापीठ से पूरी की थी, मुहम्मद गौरी ने तराइन के द्वितीय युद्ध को जीतने के बाद इस विद्यापीठ को कुतुबुद्दीन के द्वारा पूरी तरह से नष्ट करके वहां एक मस्जिद का निर्माण करवाया था जिसे आज के समय में अढाई दिन का झोपड़ा नाम की मस्जिद के नाम से जाना जाता है।
  • पृथ्वीराज चौहान की माता दिल्ली के शासक अनंगपाल तोमर की एक मात्र पुत्री थी, अतः अजमेर की राजगद्दी पर बैठने के बाद पृथ्वीराज चौहान के नाना ने दिल्ली की राजगद्दी भी इन्हें सौंप दी थी।
  • पृथ्वीराज चौहान ने युद्ध कला और अस्त्र-शस्त्र चलाने की शिक्षा अपने गुरु श्री राम जी से पाई थी।
  • इतिहासकार दशरथ शर्मा के अनुसार सन् 1180 में पृथ्वीराज चौहान अजमेर की राजगद्दी पर विधिवत रूप से विराजमान हो चुके थे।
  • राजगद्दी पर बैठने के पश्चात पृथ्वीराज चौहान ने उन सामंतो को भी दंडित दिया जिन्होंने सोमेश्वर चौहान की मृत्यु के बाद अवसर देखते हुए विद्रोह कर दिया था, और उनकी मां कर्पूरीदेवी की बात को मानने से इंकार कर दिया था।
  • पृथ्वीराज चौहान और चंदबरदाई दोनों बचपन से ही घनिष्ठ मित्र थे।
  • चंदबरदाई का जन्म सन् 1165 में लाहौर में हुआ था, यह पृथ्वीराज चौहान से एक वर्ष बड़े थे, चंदबरदाई के पिता का नाम राववेन था, इनके पिता अजमेर के चौहानों के पुरोहित थे, इनके पिता के माध्यम से ही इन्हें राजकुल के संपर्क में आने का मौका मिला था।
  • मोहम्मद गौरी अफगानिस्तान के घोरी क्षेत्र के घुरीद साम्राज्य का शासक था, सोमनाथ मंदिर पर 17 बार आक्रमण करने वाले महमूद गजनवी के साम्राज्य के बाद अफगानिस्तान में घुरीद साम्राज्य का उदय हुआ था।
  • सन् 1191 मे मोहम्मद गौरी खैबर पास से होता हुआ 1200 घुड़सवारों के साथ भारत की ओर बढ़ा चला आ रहा था, पृथ्वीराज चौहान को गुप्तचरों के माध्यम से गौरी के बारे में पहले ही खबर मिल चुकी थी, इसलिए पृथ्वीराज चौहान भी अपनी सेना के साथ युद्ध करने के लिए पूरी तरह तैयार बैठे थे।
  • मोहम्मद गौरी की पहले यह योजना थी कि वह ताबर ए हिन्द किले को जीतकर पुनः अफगानिस्तान लौट जाएगा, लेकिन जब गौरी को यह खबर मिली कि पृथ्वीराज चौहान अपनी पूरी सेना के साथ किले पर से उसका कब्जा छुड़ाने आ रहे हैं, तो उसने पृथ्वीराज चौहान से युद्ध करने का निर्णय लिया और बस यही से तराइन के प्रथम युद्ध की शुरुआत हुई।
  • पृथ्वीराज चौहान ने युद्ध की शुरुआत करके अपने हाथियों को मोहम्मद गौरी की सेना की तरफ बढ़ा दिया, हाथियों को आगे बढ़ता देख गौरी के तीरंदाजो ने उन पर तीर चलाना शुरु कर दिया लेकिन पृथ्वीराज चौहान की सेना के हाथी बख्तरबंद थे इस कारण वह आगे बढ़ते ही रहें।
  • पृथ्वीराज चौहान के घुड़सवार सैनिक ज्यादा प्रशिक्षित और कुशल थे, इसलिए उन्होंने कुछ ही देर में गौरी के घुड़सवारों को पीछे होने के लिए मजबूर कर दिया था।
  • प्रथ्वीराज चौहान 1166 ई. मे अजमेर की गद्दी पर बैठे थे और मात्र तीन वर्ष के बाद यानि 1169 ई. मे दिल्ली के सिहासन पर बैठकर पुरे हिन्दुस्तान पर राज किया।
  • पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को सोलह बार युद्ध मे पराजित करने के बाद भी उसे जीवन दान दे दिया था, और साथ ही उससे सोलह बार कुरान की कसम का खिलवाई थी।
  • मोहम्मद गौरी ने सत्तरहवी बार मे चौहान को धोखे से बंदी बना लिया था और अपने देश ले जाकर पृथ्वीराज चौहान की दोनो आँखे फोड़ दी थी, उसके बाद भी राजदरबार मे पृथ्वीराज चौहान ने अपना मस्तक नहीं झुकाया था।
  • मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाने के बाद अनेको प्रकार की यातनाएं दी थी और कई महीनो तक भुखा रखा था, फिर भी सम्राट पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु नहीं हुई थी।
  • पृथ्वीराज चौहान को जन्म से शब्द भेदी बाण चलाने की कला ज्ञात थी, जो की अयोध्या नरेश भगवान् श्री राम के पिता “राजा दशरथ” के बाद, केवल उन्ही मे थी।
  • पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को उसी के भरे दरबार में शब्द भेदी बाण से मारा था, गौरी को मारने के बाद भी वह दुश्मन के हाथो नहीं मरे, वे अपने मित्र चन्द्रबरदाई के हाथो मरे, दोनो ने एक दुसरे को कटार घोंप कर मार लिया था, क्योंकि और कोई दूसरा और विकल्प नहीं था।

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Conclusion Of  prithviraj chauhan history & amazing facts in hindi

बहुत दुख होता है ये सोचकर कि वामपंथी इतिहासकरों ने हमें हमारी ही इतिहास की पुस्तकों में औरँगजेब, टीपुसुल्तान, बाबर, अकबर जैसे हत्यारो और लुटेरों के महिमामण्डन से भर दिया और पृथ्वीराज महाराणा प्रताप जैसे अनेकों योद्धाओ को नई पीढ़ी को पढ़ने नही दिया

बल्कि हमसे हमारा इतिहास छुपाया गया इसलिए ये हमारा कर्तव्य बनता है की हम अपनी आने वाली पीढ़ी को हमारे सच्चे हीरोज और हमारे गौरवशाली इतिहास से परिचित करवा कर एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण करें आपको हमारा यह लेख Prithviraj Chauhan history in Hindi, पृथ्वीराज चौहान के जीवन के बारे जानकारी, Information About Prithviraj Chauhan In Hindi, prithviraj chauhan history & amazing facts in hindi कैसा लगा कृपया कमेंट करके जरुर बताएं हमारी साईट पर विजिट करने के लिए धन्यवाद, जय हिन्द, जय महाकाल

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